कश्मीरी नेताओं की हिरासत पर लोकसभा में विपक्ष की नारेबाजी, कांग्रेस ने कहा- संसद आना फारूक का अधिकार

संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार को शुरू हो गया। लोकसभा और राज्यसभा में सुषमा स्वराज और अरुण जेटली समेत दिवंगत नेताओं को श्रद्धांजलि दी गई। विपक्ष ने लोकसभा में कश्मीरी नेताओं की हिरासत और गांधी परिवार की सुरक्षा घटाने का मुद्दा उठाया। नारे लगाए- विपक्ष पर हमला बंद करो, फारूक अब्दुल्ला को रिहा करो। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि नेताओं को 108 दिन से नजरबंदी में रखा गया है, ये क्या जुल्म हो रहा है? हम चाहते हैं कि फारूक जी संसद आएं। ये उनका अधिकार है।


इस सत्र में लोकसभा की 20 बैठकें प्रस्तावित हैं। इसके साथ ही सरकार राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाने, कॉमन सिविल कोड, नागरिकता संशोधन और ई-सिगरेट विधेयक को भी पेश कर सकती है। वहीं, विपक्ष अर्थव्यवस्था के मौजूदा हालात, बेरोजगारी, युवा और किसानों के मुद्दे, गांधी परिवार की सुरक्षा घटाने के मुद्दे पर सरकार को घेरने की कोशिश करेगा।


अपडेट्स



  • प्रश्नकाल में आप के लोकसभा सांसद भगवंत मान ने वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर से पूछा- क्या सरकार ये मानने के लिए तैयार है कि देश आर्थिक मंदी से गुजर रहा है?

  • शिवसेना सांसदों ने संसद के बाहर प्रदर्शन किया, वे महाराष्ट्र में बारिश से हुए नुकसान को आपदा घोषित करने की मांग कर रहे थे।


  • प्रधानमंत्री ने कहा- सत्र देश की विकास को गति देने का काम करेगा


    सत्र से पहले मोदी ने कहा था कि राज्यसभा का यह 250वां सत्र है। 26 तारीख को हमारा 70वां संविधान दिवस है। यह संविधान देश की एकता, अखंडता, भारत की विविधता, भारत के सौंदर्य को समेटे हुए है। देश के लिए यह एक ऊर्जा शक्ति है। सभी दलों और सांसदों के सहयोग से पिछला सत्र अभूतपूर्व उपलब्धियों से भरा था। आशा करता हूं कि यह सत्र देश की विकास यात्रा को और देश को गति देगा। उत्तम बहस जरूरी है। वाद-विवाद हो। हर कोई अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करे। उससे जो अमृत निकलता है वो देश के भविष्य के लिए काम करता है।


    कांग्रेस ने कहा- विपक्ष को सही ढंग से विचार रखने का मौका मिले


    लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि प्रधानमंत्री और सत्तासीन भाजपा आम लोगों से जुड़े मुद्दों को चर्चा के लिए बढ़ाएंगे। संसद चर्चा, वाद-विवाद और बातचीत के लिए ही बनी है। यह सरकार पर निर्भर करता है कि वे सदन को सुचारू रूप से चलाएं, ताकि विपक्षी पार्टियां अपने विचार और राय सही ढंग से प्रकट कर सकें। यही संसदीय लोकतंत्र की महक है।”




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