तापसी पन्नू की तारीफ करते हुए बोले अनुभव सिन्हा, 'उसने स्टारडम कभी नहीं सिर चढ़ाया'

 बॉलीवुड में अपने सफर के बारे में बात करते हुए अनुभव सिन्हा बोले, ‘मेरे तो पूरे कॅरिअर में कम से कम तीन बार मेरा फातिहा पढ़ा गया। ‘रावन’ के बाद, ‘कैश’ के बाद और ‘तुम बिन 2’ के बाद मेरा फातिहा पढ़ा गया। जिस किसी ने भी मेरा फातिहा पढ़ा मुझे उससे कोई शिकायत नहीं है क्योंकि वो मैं डिजर्व करता था। ‘रावन’ मैंने अच्छी फिल्म नहीं बनाई, ‘कैश’ तो बहुत ही खराब फिल्म बनाई और ‘तुम बिन 2’ के वक्त तो मुझे आज तक पता नहीं। शायद नोट बंदी हो गई थी उसकी रिलीज के एक-दो हफ्ते पहले तो मुझे पता नहीं कि लोग उसकी वजह से नहीं देखने गए कि उन्हें फिल्म ही पसंद नहीं आई। बहरहाल, वो चली नहीं।’ 


जिद्दी आदमी हूं, गलतियों पर मेहनत करता हूं
मैं बहुत जिद्दी आदमी हूं और फिर मैंने मेहनत की क्योंकि मुझे पता है कि मेहनत से बड़ा कोई रामबाण है नहीं। तो ‘कैश’ के बाद मैंने बहुत मेहनत की तो मुझे शाहरुख खान की फिल्म मिल गई।  शाहरुख के बाद मैंने गड़बड़ कर दी। मतलब फिल्म इतनी खराब भी नहीं पर चलो लोगों को अच्छी नहीं लगी। उस जमाने में फिल्म का 130 करोड़ का बिजनेस था। खैर उसके बाद फिर जबरदस्त मेहनत की और ‘तुम बिन 2’ बनाई, वो भी नहीं अच्छी लगी। फिर और ज्यादा मेहनत की तो ‘मुल्क’ बना दी और ‘आर्टिकल 15’ भी बना दी। अभी भी मेहनत ही कर रहा हूं और वो ही करता रहता हूं हमेशाा। 
 


सबको खुश करने की कोशिश में फ्लॉप हुई ‘रावन’
मेरे खयाल से मैं रावन के जरिए सबको खुश करने की कोशिश कर रहा था। टीनएजर्स भी खुश हो जाएं, तो भाभियां भी खुश हो जाएं और मेरी मां को भी अच्छी लगनी चाहिए और वो उस किस्म की फिल्म के साथ संभव नहीं था। बाद में मुझे समझ आया कि मुझे यह चुनाव करना चाहिए था कि ये फिल्म में यंगस्टर्स के लिए बना रहा हूं और जैसे ही मैं ये फैसला वो फिल्म जैसी बनी उससे लाखों गुना बेहतर हो जाती। खैर अब मैं कुछ सोचकर फिल्म नहीं बनाता। अब मैं बस फिल्म बनाता हूं और अपनी बात कहता हूं, जिसे देेखना हो आए।

तापसी को लेकर...
‘एक एक्टर में जो सारे चेक बॉक्स होते है न जो एक डायरेक्टर को चाहिए होते हैं। तापसी उन सभी पर टिक मार्क करती हैं। जब सारी चीजें एक दम करेक्ट होती हैं तो लगता है कि कुछ तो रॉन्ग हैं। वो उस हद तक करेक्ट हैं। अच्छी एक्ट्रेस हैं, डेडीकेटेड हैं, स्क्रिप्ट को लेकर उत्साहित रहती हैं और स्टारडम कभी उसने सिर पर नहीं चढ़ाया।’



थप्पड़ की स्क्रीनिंग को लेकर...
‘फिल्म रिलीज से पहले इसे दस शहरों में दिखा देना। मैं इसे रिस्क समझ रहा था पर मेरी मार्केटिंग टीम ने इसे देखते साथ ही यह आइडिया दिया और मैंने बस उन पर भरोसा किया। हमारी पीआर हेड शिल्पा ने कहा कि इस फिल्म को ऐसे का ऐसा ही जहां दिखाना है कि दिखा दीजिए। अपने सभी डायरेक्टर दोस्तों को भी मैंने ऑफिस में बुलाकर यह फिल्म दिखाई और उन्होंने भी तारीफ की।’ 



अपनी फिल्मों में कटाक्ष के बारे में...
‘मेरा छाेटा भाई कहता है कि आपका जन्म ही लोगों पर कटाक्ष करने के लिए हुआ है। तो पता नहीं वो कहीं से तो आया होगा जो मेरी राइटिंग में भी आ जाता है।’



‘आर्टिकल 15’ के बारे में...
‘आयुष्मान ने पिछले साल ‘आर्टिकल 15’ के साथ दो और फिल्में कीं। बाकी की दो फिल्मों ने डेढ़ सौ करोड़ की कमाई की। मेरी फिल्म ने भले ही डेढ़ सौ करोड़ नहीं कमाए पर वो पूरी मजबूती के साथ बाॅक्स ऑफिस पर खड़ी रही और इस तरह की फिल्मे बनाने का अलग ही मजा है।’


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